उज्जैन। हाल ही में पशु चिकित्सा विभाग ने कोबरा को 80 टांके लगाकर उसकी जान बचाई गई थी। एक बार फिर से उससे भी ज्यादा जहरीले सांस में कुकर की सिटी की आवाज निकालने वाले गुस्सेल रसैल वाईपर के उपचार किया गया है।दो दिन के उपचार के उपरांत उसे प्राकृतिक वातावरण में छोड दिया गया है।
वन विभाग की रेस्क्यू दल ने रसेल वाइपर मादा सर्प का रेस्क्यू किया था। जिसके शरीर पर हल्की सी चोट लगी हुई थी। सोमवार से लेकर 02 दिवस के प्राथमिक उपचार उपरांत टीम के द्वारा उसे प्राकृतिक वातावरण में छोड़ दिया गया है। चोंटिल होने के बावजूद सर्प प्राकृतिक वातावरण में रहता तो छोटे मोटे जीव-जंतु कीडे,चीटी इसके घाट से चिपककर इसे मौत दे देते।
तत्काल घाव भरने वाली दवा का उपयोग-
पशु चिकित्सक डॉ अरविंद मैथनिया के अनुसार रेशल वाइपर मादा सर्प को हल्की चोट लगी हुई थी,जिसका 02 दिवस तक प्राथमिक उपचार किया गया जिसमें एंटीसेप्टिक ड्रेसिंग बिटाडिन व घाव भरने वाला स्प्रे ( पिन प्वाइंट) उपयोग किया गया,जिसमें सिल्वर नैनो पार्टिकल (कण) होते हैं, जिससे घाव तेजी से भरता है।वयस्क मादा सर्प की लंबाई लगभग 3.5 फीट थी। रंग हल्का भूरा व पीला था।
एशिया में शीर्ष 4 जहरीले सर्प में शामिल-
इस सर्प का वैज्ञानिक नाम डोबीया रसेली है व ज्यादा विषैला सर्प है। पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है, इसकी गिनती एशिया में शीर्ष चार (04) विषैले व प्राणघातक सर्पों में की जाती है। इसका व्यवहार छलावरण, रफ्तार अप्रत्याशित रहती है। जब यह श्वसन (सांस) लेता है तो एक कुकर की सिटी जैसी आवाज आती है। इसके सिर के ऊपर वी (V) या वाय (Y) आकार का सफेद मार्क होता है। यह आमतौर पर खुले,घास या जंगल व खेत में पाए जाते हैं व घने जंगल को पसंद नहीं करते है। यह वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के शेड्यूल द्वितीय में आता है।
